नेशनल डेस्कःभाजपा अध्यक्ष अमित शाह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी के बीच बेहतर तालमेल कायम करने व लोकसभा चुनाव से पहले हिस्सेदारी को लेकर राजग में चल रहे विवाद को विराम देने आज पटना आ रहे हैं। ज्ञान भवन में प्रस्तावित राजग घटक दलों की बैठक में शाह सीटों को लेकर कोई फार्मूला निकालेंगे। वैसे बैठक से एक दिन पहले जहां जदयू ने कहा है कि वे बिहार में बड़े भाई की भूमिका में हैं और 25 सीटों पर उसका दावा रहा है, तो दूसरी ओर लोजपा और रालोसपा जैसे घटक दल साफ तौर पर कह रहे हैं कि वो अपनी सीट किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि लोकसभा चुनाव के बाद राजग में शामिल हुए जदयू के लिए आखिर कितनी और कौन सीट छोड़ेगा।
पिछले चुनाव में लोजपा पांच और रालोसपा ने तीन सीटों पर जीत हासिल की थी। अगर सीटिंग फार्मूले पर हिस्सेदारी की बात होती है, तो जदयू को नौ से अधिक सीट मिलना असंभव है, जबकि जदयू की बात अगर सुनी जाएगी तो भाजपा को अपने आठ सांसदों की बलि देनी पड़ सकती है। ऐसे में 15-15 सीटों पर भाजपा, पांच सीटों पर लोजपा, तीन सीटों पर रालोसपा और एक-एक सीट अरुण कुमार और पप्पू यादव जैसों के लिए छोड़ा जा सकता है।
जानकारों का कहना है कि ऐसे किसी फार्मूले पर भाजपा शायद ही राजी हो। यह सच है कि उपचुनाव के बाद भाजपा कमजोर हुई है, लेकिन इतनी भी कमजोर नहीं हुई है कि वो अपने घटक दलों के आगे घुटने टेक दे। अपनी ताकत को साधने के लिए ही भाजपा प्रमुख अमित शाह ने सहयोगी दलों से संपर्क साधने का अभियान चलाया है। इसके तहत ही बिहार में भी 7 जून को सहयोगी दलों के लिए भव्य भोज का आयोजन किया गया है। इस मौके पर राजग के अंदर उभरे मतभेदों को व्यक्त कर रहे नेताओं से मुलाकात कर गठबंधन की मजबूती पर बल दिया जाएगा
इस भोज में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, भाजपा नेता व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, केंद्रीय मंत्री व लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान तथा केंद्रीय मंत्री व रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा हिस्सा लेंगे।