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हमारी सुरक्षा के लिए खुद को कफ़न में लपेटकर घूम रही पुलिस, उनका सहयोग तो करिए…

नरेंद्र शर्मा  
वाराणसी। पुलिस एक शब्द जो हर मामले में अपने आप जुड़ जाता है। आम जिन्दगी के हर पहलू में यदि पुलिस शब्द न जुड़े तो लगता है जैसे कुछ होने वाला ही नहीं है।कोरोना महामारी के इस संकट काल के वक्त जेहन में सबसे पहले गूंजने वाला शब्द पुलिस ही है। इसके बावजूद भी सबकी निगाहों में यदि कोई सबसे बुरा है तो वह पुलिस ही है।

यानि हमें पुलिस का साथ भी चाहिये और यदि हम संतुष्ट नहीं हुये तो पुलिस को कोसने से भी पीछे नहीं हटेंगे।यानि दोतरफा मार केवल पुलिस विभाग के उपर।राजनैतिक, सामाजिक और अधिकारिक दबाव को झेलते हुये भी आम जनता के लिये 24 घंटे दौड़ने वाला पुलिस कर्मी भी इसी समाज से निकला है। वह भी किसी का बेटा, किसी का पति और किसी का भाई है। 

उसका भी अपना परिवार है। उसके ऊपर भी कोरोना जैसी महामारी का डर हैं, लेकिन आम पब्लिक अपने परिवार के साथ सुरक्षित रहे, इसलिये वह खुद सुरक्षित नहीं, अपने परिवार को समय तक नहीं दे पा रहे हैं पुलिसकर्मी। हमारी सुरक्षा के लिए अपने परिवार से दूर रहकर हमें घर में सुरक्षित रहने की हिदायत दे रहे हैं।

आम पब्लिक को इस संकट की घड़ी में गांठ बांधकर याद रखना पड़ेगा किसी भी हाल में अनावश्यक तौर पर घर से बाहर निकलना देशद्रोह से कम नहीं। आपकी दुस्साहस, आपकी असभ्यता, आवेश और संवेदनहीनता में सिर्फ आपका,आपके परिवार की ही बलि नहीं चढ़ेगी बल्कि आपके चलते पूरा समाज ही स्वाहा हो जाएगा।प्लीज घर में सुरक्षित रहकर पुलिस का सहयोग करिए। (फोटो- गूगल)

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