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वाराणसी के घाटों की श्रृंखला में जुड़ने जा रहा एक और घाट 

देवदीपावली के पहले बनकर होगा तैयार,आधुनिक रूप से बन रहे घाट पर पर्यटकों की सुविधाओं का रखा गया ख़ास ध्यान

भाजपा की डबल इंजन की सरकार सामने घाट से रामनगर को जोड़ने वाले सेतु के बगल में पक्के घाट का करा रही निर्माण

चुनार स्टोन की छतरी, गजिबो, चेंजिंग रूम, प्लेटफार्म,पार्किंग रैंप आदि का निर्माण अंतिम चरण में

रत्नेश राय

वाराणसी। वाराणसी के घाटों की श्रृंखला में एक घाट और जुड़ने जा रहा है। भाजपा की डबल इंजन की सरकार सामनेघाट से रामनगर को जोड़ने वाले सेतु के बगल में सामनेघाट का  पुनर्विकास कराकर  पक्का घाट बनवा रही रही है। घाट के निर्माण में काशी के अन्य ऐतिहासिक घाटों के वास्तुशिल्प का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। आधुनिक रूप से बन रहे इस पक्के घाट पर पर्यटकों की सुविधाओं का ख़ास ध्यान रखा गया है, जिससे धार्मिक कार्यों के साथ ही पर्यटकों को सभी सुविधा मिल सके। उत्तर वाहिनी मां गंगा के किनारे काशी के अर्धचन्द्राकार घाट पूरी दुनिया को हमेशा से आकर्षित करती आई है। 

पर्यटन विभाग के उप निदेशक राजेंद्र रावत ने बताया कि 1055.43 लाख की लागत से इस घाट का पुनर्विकास कराया जा रहा है। इस घाट की लंबाई 110 मीटर है। घाट पर आरती और पूजा के लिए प्लेटफार्म ,चुनार स्टोन की छतरी ,गजिबो, चेंजिंग रूम, हाईमास्ट लाइट, स्ट्रीट लाइट, साइनेज, पीने का पानी, पाथवे, पार्किंग,स्टोन पिचिंग, दिव्यांगजनों व बुजुर्गों के लिए रैंप हॉर्टिकल्चर, आदि के अधिकांश कार्य हो चुके हैं। बचे हुए कार्य को देव दीपावली से पहले पूरा करने के लिए कार्यदायी संस्था को निर्देश दिया गया है।

पुरातनता को ध्यान में रखते हुए काशी के घाटों के नवनिर्माण में चुनार के पत्थरों का इस्तेमाल हो रहा है। पर्यटन विभाग के उप निदेशक राजेन्द्र रावत ने बताया कि सामने घाट स्थित बन रहे पक्के घाट पर स्थानीय लोगों को गंगा स्नान, धार्मिक ,धार्मिक आयोजनो जैसे छठ और देव दीपावली आदि पर्व मनाने में काफी सहूलियत मिलेगी। काशी के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व वाले घाटों की श्रृंखला से थोड़ा दूर कच्चे घाट के पुनर्विकास से धार्मिक पर्यटन बढ़ेगा। इस पर वाटर स्पोर्ट्स एक्टिविटी भी कराने की योजना है।

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