कोरोना वायरस संकट को लेकर देश में जारी लॉकडाउन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को सुबह 11 बजे मन की बात कार्यक्रम को संबोधित किया। 63वें मन की बात संस्करण में पीएम मोदी ने सबसे पहले लॉकडाउन की वजह से लोगों को हो रही परेशानियों के लिए माफी मांगी और कहा कि यह देश और देशवासियों को बचाने के लिए जरूरी था। जानते हैं पीएम मोदी के मन की बात के प्रमुख अंश-
शुरुआत में पीएम मोदी ने कहा कि सबसे पहले मैं सभी देशवासियों से क्षमा मांगता हूं और मेरी आत्मा कहती है कि आप मुझे जरूर माफ करेंगे, क्योंकि कुछ ऐसे निर्णय लेने पड़े हैं, जिसकी वजह से आपको कई तरह की कठिनाइयां उठानी पड़ रही हैं। खास करके मेरे गरीब भाई-बहनों को देखता हूं तो जरूर लगता है कि उनको लगता होगा कि ऐसा कैसा प्रधानमंत्री है, हमें इस मुसीबत में डाल दिया। उनसे भी मैं विशेष रूप से माफी मांगता हूं। कहा, कोरोना वायरस ने दुनिया को कैद कर दिया है। ये ना तो राष्ट्र की सीमाओं में बंधा है, न ही कोई क्षेत्र देखता है और न ही कोई मौसम इसलिए लोगों को, इसे खत्म करने के लिए एकजुट होकर संकल्प लेना होगा।
कहा, मैं जानता हूं कि कोई कानून नहीं तोड़ना चाहता, लेकिन कुछ लोग ऐसा कर रहे हैं क्योंकि अभी भी वो स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रहे। अगर आप 21 दिनों के लॉकडाउन का नियम तोड़ेंगे तो वायरस से बचना मुश्किल होगा। कहा कि कोरोना वायरस ज्ञान, विज्ञान, अमीर-गरीब, मजबूत-कमजोर सबको एक जैसी चुनौती दे रहा है। यह किसी भी देश की सीमाओं तक सीमित नहीं है, न ही यह क्षेत्र या मौसम में कोई भेद करता है। पीएम ने देशवासियों से साहस एवं संकल्प प्रदर्शित करने को कहा, कई और दिनों के लिए ‘लक्ष्मण रेखा’ का पालन करने की अपील। कहा कि हमें ये समझना होगा कि मौजूदा हालात में अभी एक दूसरे से सिर्फ सोशल डिस्टेंस बना कर रखना है, न कि इमोशनल या ह्यूमन डिस्टेंस।
उन्होने कहा कि कुछ लोगों को लगता है कि वो लॉकाडाउन का पालन कर रहे हैं तो ऐसा करके वो मानों जैसे दूसरों की मदद कर रहे हैं। ये भ्रम पालना सही नहीं है। ये लॉकडाउऩ आपके खुद के बचने के लिए है। आपको आपने से बचाना है, अपने परिवार को बचाना है। अभी आपको आने वाले कई दिनों तक इसी तरह धैर्य दिखाना है, लक्ष्मण रेखा पालन करना ही है। कहा कि मैं यह भी जानता हूं कि कोई कानून नहीं तोड़ना चाहता, नियम नहीं तोड़ा चाहता, लेकिन कुछ लोग ऐसा कर रहे हैं क्योंकि अब भी वो स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं। ऐसे लोगों को यही कहूंगा कि लॉकडाउन का नियम तोड़ेंगो तो कोरोना वायरस से बचना मुश्किल हो जाएगा। दुनियाभर में बहुत से लोगों को कुछ इसी तरह की खुशफहमी थी। आज ये सब पछता रहे हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि इस लड़ाई के अनेखों योद्धा ऐसे हैं जो घरों में नहीं, घरों के बाहर रहकर कोरोना वायरस का मुकाबला कर रहे हैं। जो हमारे फ्रंट लाइन सोल्जर्स हैं। खासकर के हमारी नर्सेज बहनें हैं, नर्सेज का काम करने वाले भाई हैं, डॉक्टर हैं, पारा मेडिकल स्टाफ हैं। ऐसे साथी हैं, जो कोरोना को पराजित कर चुके हैं। आज हमें उनसे प्रेरणा लेनी है। कहा आज जब मैं डॉक्टरों का त्याग, तपस्या, समर्पण देख रहा हूं तो मुझे आचार्य चरक की कही हुई बात याद आती है। आचार्य चरक ने डॉक्टरों के लिए बहुत सटीक बात कॉही है और आज वो हम अपने डॉक्टरों के जीवन में हम देख रहे हैं। आचार्य चरक ने कहा है, न आत्मार्थ्मनअपी कामानर्थम्अतभूत दयां प्रति। वर्तते यत्चिकित्सायां स सवर्म इति वर्रतते।। यानी धन और किसी खास कामना को लेकर नहीं, बल्कि मरीज की सेवा के लिए , दया भाव रखकर कार्य करता है, वो सर्वश्रेष्ठ चिकित्सक होता है।