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किडनी की सेहत का आयुर्वेद से रखे ध्यान-डॉ.  अजय कुमार 

शरीर में पानी और अन्य जरूरी तत्व जैसे मिनरल्स, सोडियम, पोटेसियम और फॉस्फोरस का रक्त में संतुलन बनाए रखने में किडनी का महत्वपूर्ण योगदान है। किडनी के रोगों के प्रति जागरूकता फैलने के लिए प्रत्येक वर्ष  मार्च के दूसरे बृहस्पतिवार को वर्ल्ड किडनी डे मनाया जाता है।

राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के डॉ अजय कुमार  का कहना है की वक्त पर खाना नहीं खाना, दर्द निवारक दवाईयों का ज्यादा इस्तेमाल और पानी की सही मात्रा नहीं लेने जैसी कई चीजें हैं जो किडनी को प्रभावित करती हैं। गलत खानपान के अलावा मधुमेह, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल भी किडनी रोग के सबसे बड़ा कारण है। आइए इनसे आगे जानते है इसके बारे में विस्तार से-

क्या है किडनी खराब होने के लक्षण ?

शुरुआत में इसका का पता नहीं चल पाता, परन्तु  जैसे-जैसे समय बीतता वैसे-वैसे इनके लक्षण आगे आने शुरू होतें हैं। किडनी खराब होने के प्रमुख लक्षणों में है –

1. हाथ, पैर, और चेहरे पर सूजन

2. भूख नहीं लगना 

3. उल्टी और मिचली

4. बार बार पेशाब लगना और झागदार पेशाब होना 

5. खुजली और अत्यंत शुष्क त्वचा

6. अनियमित धड़कन,

7. मांशपेशियों में ऐठन और थकान

किडनी के रोग से कैसे करे बचाव-

-यदि आपका वजन अधिक है तो अपना वजन कम करे

-नियमित शारीरिक व्यायाम करें;

-कम एवं संतुलित मात्रा में नमक खाएं ( अधिकतम 2 ग्राम )

-धूम्रपान एवं शराब पीने से बचें;

-कम प्रोटीन वाले भोजन खाए 

-उच्च रक्तचाप और मधुमेह रोगी अपने चिकित्सक के निर्देशों का  पालन करें और इन रोगों को नियंत्रित रखे।

– प्रोटीन युक्त पदार्थ जैसे मांस, हरे मटर, मसूर, उड़द, चना, बेसन, कुलथी की दाल, राजमा, व शराब आदि का सेवन कम करना चाहिए |

आयुर्वेद में उपचार –

आयुर्वेद में किडनी  रोगों का मूत्रकृच्छ, मूत्राघात, प्रमेह आदि रोगों के अंतर्गत वर्णन किया गया है | इनके चिकत्सा के लिये कई अध्यायों में सैकड़ो औषधियों का वर्णन मिलता है इसके साथ साथ पंचकर्म चिकित्सा द्वारा भी इसके इलाज़ बताया गया है | विशेषज्ञ की देखरेख में निम्न औषधियों से सेवन से किडनी के रोगों का इलाज़ किया जा सकता है |

1. मूत्र नही बनने की स्थिति में मूत्रल औषधियों का प्रयोग करना चाहिए।

2.नियमित रूप से  गिलोय, पुनर्नवा का जूस, पुनर्नवा मंडूर, नवायस लौह  लेने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।

3. तृण पञ्चमूल , पुनर्नावाष्टक क्वाथ के नियमित सेवन से इस रोग में लाभ मिलता है।

4. शिलाजत्वादि वटी, तारकेश्वर रस, गोक्षुरादि गुग्गुल आदि सेवन से किडनी सही रहती है।

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