रत्नेश राय
वाराणसी।भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद्, भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित महत्त्वाकांक्षी परियोजना ‘हिस्ट्री एंड सोशियोलॉजी ऑफ़ आर्ट, क्राफ्ट, कल्चर एंड फोक ट्रेडिशंस ऑफ़ द रीजंस ऑफ़ इंडिया” के अन्तर्गत वसन्त महिला महाविद्यालय को ‘काशी की मृत्तिका कला: अतीत, वर्तमान एवं भविष्य’ विषय पर दो वर्षों के लिए 34 लाख 11 हज़ार रुपए की बृहद् परियोजना स्वीकृत हुई है । इस परियोजना के समन्वयक प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग के डॉक्टर राजीव कुमार जायसवाल एवं सह समन्वयक संस्कृत विभाग के डॉक्टर बृहस्पति भट्टाचार्य है ।
इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफ़ेसर अलका सिंह ने परियोजना के सदस्यों को शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए उनका उत्साहवर्धन किया एवं महाविद्यालय के अबतक के इस सर्वोच्च अनुदान को कार्यक्षेत्र के स्वस्थ वातावरण का परिणाम बताया ।
इस परियोजना के अन्तर्गत काशी की मृत्तिका कला के विविध पक्षों यथा – इतिहास, संस्कृति, लोक परम्परा, शिल्प, सामाजिक, धार्मिक एवम् आर्थिक पक्षों पर शोध किया जाएगा । इसके साथ ही कुम्भकारों की आर्थिक, सामाजिक स्थिति में सुधार के साथ इस कला को रोजगारोन्मुखी तथा व्यवसायिक रूप से सशक्त बनाने के लिए सुझाव भी प्रेषित किए जाएंगे जो आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को आगे बढ़ाते हुए काशी के सामाजिक समृद्धि में भी अपना योगदान देंगे ।
परियोजना के समन्वयक डॉक्टर राजीव कुमार जायसवाल ने बताया कि परियोजना के अन्तर्गत काशी की मृत्तिका कला का अध्ययन पुरातात्त्विक एवं नृजातीय साक्ष्यों के आधार पर किया जायेगा एवं सह-समन्वयक डॉक्टर बृहस्पति भट्टाचार्य ने बताया कि संस्कृत एवं तदनुरूप प्राचीन ग्रन्थों में उल्लिखित मृत्तिका कला के निर्माण प्रविधियों का अध्ययन किया जायेगा | इसके साथ ही परियोजना के तत्त्व भविष्य में काशी के मृत्तिका कला के नीति-निर्धारण में भी सहायक सिद्ध होंगे |