Site icon NewsLab24

मुन्ना बजरंगी: BJP विधायक को किया था AK-47 से छलनी, 7 शवों से बरामद हुई थीं 67 गोलियां !

मुन्ना बजरंगी का नाम भाजपा विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड के बाद भी सुर्खियां में आया। आरोप है कि इस हत्याकांड के पीछे माफिया मुख्तार अंसारी का हाथ था। मुख्तार के ही कहने पर मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय पर एके-47 से 400 गोलियां दागीं। इस हत्याकांड ने पूरे पूर्वांचल को दहला कर रख दिया था।

सूत्रो के अनुसार  90 दशक के आखिर में पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मुख्तार अंसारी का कब्जा था, लेकिन इसी दौरान तेजी से उभरते बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय उनके लिए चुनौती बनने लगे।

कहा जाता है कि कृष्णानंद राय और मुख्तार के दुश्मन माफिया डॉन ब्रजेश सिंह काफी करीबी थे। कृष्णानंद राय की अगुवाई में ब्रजेश तेजी से अपना गैंग की ताकत बढ़ा रहा था। इनके संबंध अंडरवर्ल्ड के साथ भी जुड़े गए थे। कृष्णानंद राय का बढ़ता प्रभाव मुख्तार को रास नहीं आ रहा था। उसने कृष्णानंद राय को खत्म करने की जिम्मेदारी मुन्ना बजरंगी को सौंप दी।

7 शवों से बरामद हुई थीं 67 गोलियां!

मुख्तार से फरमान मिल जाने के बाद मुन्ना बजरंगी ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय को खत्म करने की साजिश रची, और उसी के चलते 29 नवंबर 2005 को  मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय को दिन दहाड़े मौत की नींद सुला दिया।

उसने अपने साथियों के साथ मिलकर गाजीपुर के भांवरकोल क्षेत्र के बसनिया पुलिया के पास अपराधियों ने स्वचालित हथियारों से भाजपा विधायक कृष्णानंद राय व उनके छह साथियों मुहम्मदाबाद के पूर्व ब्लाक प्रमुख श्यामाशंकर राय, भांवरकोल ब्लाक के मंडल अध्यक्ष रमेश राय, अखिलेश राय, शेषनाथ पटेल, मुन्ना यादव व उनके अंगरक्षक निर्भय नारायण उपाध्याय की हत्या कर दी।

पोस्टमार्टम के दौरान हर मृतक के शरीर से लगभग 67 गोलियां बरामद हुईं थी। इस हत्याकांड ने सूबे के सियासी हलकों में हलचल मचा दी। हर कोई मुन्ना बजरंगी के नाम से खौफ खाने लगा। इस हत्या को अंजाम देने के बाद वह मोस्ट वॉन्टेड बन गया था।

कोर्ट ने सीबीआई जांच के दिए आदेश

वहीं कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय की ओर से हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच का आदेश दिया गया था। बाद में अलका राय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। उन्होंने आशंका व्यक्त करते हुए कहा गया था कि अपराधियों को सत्ता का संरक्षण प्राप्त है।

ऐसे में सुनवाई के दौरान गवाहों के जान का भय बना हुआ है इसलिए पूरे मामले की सुनवाई गैर प्रदेश की कोर्ट में की जाए। अलका राय के वकील की दलीलों से सहमत होते हुए सुप्रीम कोर्ट की ओर से पूरे प्रकरण की सुनवाई गैर प्रदेश की कोर्ट में करने की मंजूरी दे दी गई।

Exit mobile version