हरेन्द्र शुक्ला
वाराणसी: गंगा स्नान करने के बाद श्रद्धालु घाट किनारे मंदिरों में पूजा पाठ करने के बाद घाट के किनारे ऐतिहासिक भवनों को देखकर देश की समृद्धिशाली इतिहास को जानने और समझने का प्रयास करते हैं।
काशी की घाटों की सीढ़ियों और भवनों की शिल्पकारी लोगों को ठिठकने को मजबूर कर देती हैं। लेकिन अब ऐसा नजारा लोगों को देखने को नहीं मिलेगा। कारण, नमामि गंगे योजना के तहत गंगाजी की स्वच्छता और निर्मलता की दावा करने वाली सरकार इस मामले में फिसड्डी रही।
अब काशी के घाटो को चित्रकारी के माध्यम से चमकाने की योजना पर पीएम मोदी के दौरे के मद्देनजर तेजी से काम हो रहा है। नमामि गंगे योजना के तहत अस्सिघाट से राजघाट तक घाट किनारे पुरातत्व भवनों और महलों की दीवारों पर सरकार की ओर से लोमड़ी, शेर, भालू, मगरमच्छ सहित जानवरों की तस्वीरें उकेरी जा रही है।
इन तस्वीरो से जहां घाटो की सुन्दरता बदरंग हो रही है वहीं दुसरी तरफ अब घाट किसी अजायबघर जैसा दिखने लगा है। या यो कहिए की देश में स्वच्छता की अलख जगाने वाली सरकार काशी में घाटों पर बदरंग चित्रकारी कराकर ” दृश्य प्रदूषण ” फैलाने का कार्य कर रही है।
बताते चले की गंगाजी की सुन्दरता बढाने के लिए अस्सिघाट और दशाश्वमेघ घाट पर दो रंगीन फौव्वारे लगाये थे। जो अब तीन साल से नजर ही नहीं आ रहे है।
इसी तरह वाराणसी के कर्मशील सांसद एवं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अस्सिघाट से दो वर्ष पूर्व घाट और गंगा जी में ध्वनि और वायु प्रदूषण रोकने के उद्देश्य से 5 ई-बोट का लोकार्पण भी किया था। लेकिन अब वह ई-बोट नजरो से ओझल है।