- महामारी के दौरान डिजिटलाइजेशन अपनाए जाने के कारण साइबर हमले 500 प्रतिशत बढ़ गए
- नई क्षमता अपराधियों को ओटीपी यानी वन टाइम पासकोड जिसका उपयोग आमतौर पर संवेदनशील लेन-देन की मंजूरी के लिए किया जाता है, को प्राप्त करने के लिए किसी अनधिकृत उपकरण और फोन नंबर को पंजीकृत करने से रोकेगी
सिद्धार्थ गांधी, चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर, एपीएसी, 1कॉसमॉस ने कहा है कि,1कॉसमॉस को सिम (सब्सक्राइबर आईडेंटिटी मोड्यूल) बाइंडिंग क्षमता पेश करने की घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है। यह 1कॉसमॉस ब्लॉकआईडी डिस्ट्रीब्यूटेड डिजिटल आईडेंटिटी प्लैटफॉर्म के लिए है और इससे भारत में ऑनलाइन फ्रॉड को कम करने में सहायता मिलेगी। भारत में इंटरनेट रीटेल बैंकिंग फ्रॉड को रोकने के लिए आरबीआई एडवाइजरी (13 अक्तूबर 2021) में दिशा-निर्देश दिए गए हैं। 1कॉसमॉस की नई सुविधा का नतीजा यह है कि संस्थान अब इनका पालन कर सकते हैं।
आप जानते हैं कि उपयोगकर्ता के पंजीकृत नंबर पर ही कोई वित्तीय संस्थान या नियोक्ता ओटीपी भेजते हैं। ब्लॉकआईडी सिम डीटेक्शन और एसएमएस वेरीफिकेशन के मेल का उपयोग करते हुए उपयोगकर्ता के मोबाइल नंबर को वैध करार देते है। इसका मकसद किसी ग्राहक के खाते के लिए किसी अनधिकृत उपकरण / फोन नंबर को पंजीकृत कर हमले की कोशिशों से सुरक्षा देना है।
2020 में साइबर हमलों के कारण भारत में करीब 1.24 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक, देश में साइबर अपराध की दर (प्रति लाख व्यक्ति पर घटनाएं) 2019 में 3.3 प्रतिशत थी जो 2020 में बढ़कर 3.7 प्रतिशत हो गई। 2020 में ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड के 4,047, ओटीपी फ्रॉड के 1093, क्रेडिट / डेबिट कार्ड फ्रॉड 1,194 और एटीएम फ्रॉड के 2160 मामलों का पता चला था।
महामारी के दौरान डिजिटलाइजेशन अपनाए जाने के कारण साइबर हमले 500 प्रतिशत बढ़ गए। सिद्धार्थ गांधी, चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर, एपीएसी, 1कॉसमॉस ने कहा, “भारत में ओटीपी चोरी के मामले काफी संख्या में हो रहे हैं। अनजान ग्राहक से कोई धोखेबाज केवाईसी अपडेट करने के नाम पर संपर्क करता है और आखिरकार उससे बैंक के विवरण ले लिए जाते हैं और इनके उपयोग से पीड़ित के खाते से भारी रकम ट्रांसफर कर ली जाती है। इस नई क्षमता से 1कॉसमॉस ब्लॉकआईडी ऐसे मामलों की अच्छी-खासी संख्या को रोक सकता है।” उन्होंने आगे कहा, “हमें ओटीपी फ्रॉड के खिलाफ सतर्क रहने की आवश्यकता है। रोकथाम इलाज या अपराधी के पकड़े जाने से बेहतर है।”
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, साइबर अपराध के सबसे ज्यादा, 11,097 मामले उत्तर प्रदेश में हैं। इसके बाद कर्नाटक (10,741), महाराष्ट्र (5,496), तेलंगाना (5,024) और असम (3,530) हैं। हालांकि, 16.2 प्रतिशत मामलों के साथ कर्नाटक में अपराध दर सबसे ज्यादा थी। इसके बाद तेलगाना (13.4 प्रतिशत), असम (10.1 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश (4.8 प्रतिशत) और महाराष्ट्र (4.4 प्रतिशत) का नंबर है।
1 कॉसमॉस के चीफ स्ट्रेटजी ऑफिसर माइक एंगले ने कहा, “मोबाइल उपकरण ऑनलाइन बैंकिंग, भुगतान और ई कामर्स एपलीकेशन के ऑथेंटीकेशन के लिए लोकप्रिय और प्रभावी व्यवस्था बन गए हैं। लेकिन रिकार्ड के फोन नंबर को बदल दिया जाए या कोई धोखेबाज किसी तरह सिम कार्ड चुरा ले।” उन्होंने आगे कहा, “ब्लॉकआईडी अब अपराधियों को किसी उपयोगकर्ता के अधिकृत फोन नंबर को उनके खाते ऐक्सेसस करने के लिए दूसरे उपकरण पर ट्रांसफर करने से रोकता है।”
ब्लॉक आईडी ऐप्प पर सिम बाइंडिग एक नई खासियत उपलब्ध हुई है। इससे ग्राहक अपने खाते को लिंक कर सकते हैं और यह सिर्फ उसी फोन नंबर से लिंक होगा जहां यह किसी संस्था या नियोक्ता से पंजीकृत हो। ब्लॉकआईडी ऐप्प पर पंजीकरण के दौरान उपयोगकर्ता को चुनौती दी जाती है कि वह अपना फोन नंबर वेरीफाई करे। ब्लॉकआईडी प्लैटफॉर्म सिम डीटेक्शन और सिम वेरीफिकेशन के एक मेल का उपयोग करता है तब जाकर उपयोगकर्ता का मोबाइल नंबर सेवा प्रदाता के साथ पंजीकृत मोबाइल नंबर के मुकाबले पंजीकृत होने के लिए वैलीडेट होता है।
सिद्धार्थ गांधी ने कहा, “इंटरनेट रीटेल बैंकिंग फ्रॉड को रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के हाल के एक निर्देश के मुताबिक भारत में और दुनिया भर में वित्तीय संस्थाओं के लिए डिवाइस बाइंडिंग लागू करना आवश्यक कर दिया है। ऐसे में 1कॉसमोस की क्लाउड आधारित सेवा द्वारा बनाई गई बायोमेट्रिक डिजिटल आईडेंटिटी ब्लॉकआईडी मोबाइल ऐप्प और बायोमेट्रिक डिजिटल आईडेंटिटी और एक वैकल्पिक एसडीके बैंकों के लिए अपने ग्राहक आधार के बीच सिम बाइंडिंग की शुरुआत करना द्रुत और किफायती बनाता और इसमें नई संरचना के मद में शून्य निवेश है।”
हेमेन विमादलाल, सीरियल आंत्रप्रेन्योर और सीईओ, 1कॉसमॉस के नेतृत्व में साझेदारों और ग्राहकों का एक मजबूत पोर्टफोलियो पहले ही विकसित हो चुका है। इनमें वेरीजोन, हिटाची और आरएसए सिक्यूरिटी शामिल है। भारत में 1कॉसमॉस के ग्राहकों की अच्छी-खासी सूची है। मुख्य रूप से ये बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र के हैं। इनमें इंडोस्टार कैपिटल, 63 मून्स, हिटाची, बजाज इलेक्ट्रीकल आदि शामिल हैं।
ब्लॉकआईडी का सिमबाइंडिंग कैसे काम करता है
1कॉसमॉस का ग्राहक (बैंक, भुगतान प्रदाता, उपक्रम आदि) एक लिंक के साथ ई मेल तैयार करता है जो अंतिम उपयोगकर्ता को भेजा जाता है। प्राप्तकर्ता (उपभोक्ता, कर्मचारी आदि) जब लिंक पर क्लिक करते हैं तो एक ब्लॉकआईडी ऐप्प खुलता है। इससे एक प्रक्रिया शुरू होती है ताकि सिंगल या डुअल सिम की उपस्थिति का पता चले। इसके बाद उपयोगकर्ता से कहा जाता है कि वह अपने सेवा प्रदाता या नियोक्ता से पंजीकृत सिम का चुनाव करेगा। इसके बाद ब्लॉक आईडी उस सिम को वैलीडेट कर देता है तथा रिकार्ड में सिम तथा फोन नंबर मैच कर जाता है। और यह सेवा प्रदाता तथा नियोक्ता के साथ होता है। अगर वैलीडेट कर दिया गया तो खाता उपयोगकर्ता और उपकरण एकदूसरे से लिंक हो जाते हैं।
उपलब्धता
डिवाइस बाइंडिंग के साथ 1कॉसमॉस ब्लॉक आईडी तत्काल 1कॉसमॉस और दुनिया भर में उपलब्ध इसके कारोबारी साझेदारों के पास उपलब्ध है।
1कॉसमोस वैश्विक कंपनियों के साथ काम करती है। इनमें वेरीजोन, हिटाची और आरएसए सिक्यूरिटी शामिल है। तथा भारत में इसने अपने पंख पहले ही फैला लिए हैं और प्रमुख मेट्रो शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, पुणे, हैदराबाद और बैंगलोर।
1कॉसमोस के बारे में
1कॉसमोस कपनियों को एकीकृत होने और प्रूफिंग तथा ऑथेंटीकेशन की पहचान करने में सहायता करता है ताकि कामगारों, ग्राहकों और नागरिकों को डाटा के लिए घर्षणमुक्त ऑनबोर्डिंग और पासवर्ड मुक्त ऐक्सेस टू डाटा और सेवाएं मुहैया कराता है। फिडो2 (FIDO2) और एनआईएसटी प्रमाणित ब्लॉक आईडी वितरित डिजिटल आईडेंटिटी प्लैटफॉर्म तैयार होता है जो एक पोर्टेबल डिजिटल वॉलेट तैयार करता है। यह ऑनलाइन सेवाओं को आसानी से ऐक्सेस करने के लिए होता है। यह नकली पहचान का जोखिम तकरीबन खत्म कर देता है और इस तरह खाते पर गलत व्यक्ति का कब्जा, लेन-देन के फ्रॉड का जोखिम खत्म हो जाता है। इसके लिए मजबूत पहचान नामांकन और ऑथेंटीकेशन का मेल कराया जाता है। ब्लॉकआईडी दुनिया के कुछ सबसे बड़े बैंकों, दूरसंचार और हेल्थकेयर संगठन के लिए रोज मिलियन्स ऑथेन्टीकेशन करता है। कंपनी को फोर्जप्वाइंट कैपिटल से धन मिलता है जिसका मुख्यालय समरसेट, न्यूजर्सी में है। अतिरिक्त जानकारी के लिए www.1kosmos.com पर आइए और ट्वीटर (Twitter) तथा लिंक्डइन (LinkedIn) पर हमें फॉलो