सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप के द्वारा अफवाह फैलने और इससे होने वाली भीड़ हिंसा (मॉब लिंचिंग) की घटनाओं से चिंतित सरकार ने मंगलवार को व्हाट्सएप को सख्त चेतावनी जारी किया था कि वह इसे रोकने के लिए उपाय करे।
सूत्रो की माने तो सरकार को दिए अपने जवाब में व्हाट्सएप ने कहा कि फर्जी खबरें, झूठी सूचनाएं और अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है। उसने कहा कि लोगों की सुरक्षा को लेकर व्हाट्सएप बेहद गंभीर है, इसलिए हमने अपने एप को सुरक्षा को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
अफवाहों पर लगाम लगाने के लिए व्हाट्सएप एक नया परीक्षण कर रहा है। इससे उपयोगकर्ताओं को पता चलेगा कि सामने वाले ने कब मेसेज को लिखा और कब उसे भेजा। इसका फायदा यह होगा कि उपयोगकर्ता को पता चल जाएगा कि जो मेसेज वह पढ़ रहा है सामने वाले ने खुद लिखा है या अफवाह फैलाने के लिए भेजा गया है।
इस फीचर को जल्द लांच करने के साथ व्हाट्सएप लोगों की सुरक्षा को लेकर लंबे समय के लिए एक अभियान भी चलाने पर विचार कर रहा है। इसके साथ ही उसने फैक्ट चेकिंग संगठन के साथ काम करना शुरू कर दिया है ताकि अफवाहों और फेक न्यूज को फैलने से रोका जा सके।
दो हफ्तों में गई 25 की जान
गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों की भरमार की वजह से देश के कई हिस्सों में निर्दोष लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फैली बच्चों को अगवा करने की अफवाहों के चलते एक साल में कम से कम 25 लोगों को पीट-पीट कर मार डाला गया। ये हत्याएं अलग-अलग राज्यों में हुई हैं। तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, असम समेत कई राज्यों में फर्जी खबरों का असर देखने को मिला है।