आशुतोष त्रिपाठी
वाराणसी। महामना के ज्ञान धरोहर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में देखा जाए तो पिछले लगभग कुछ वर्षो से परिसर में बवाल और आंदोलनों की आग लगी है। छात्र अपनी मांगो को लेकर आंदोलित हो रहे है या फिर बवाल का रास्ता अख्तियार कर रहे है।
नाम न छापने की शर्त पर एक प्रोफ़ेसर की माने तो छात्रो की समस्याएं दूर कर पढ़ने का माहौल बनाने की जगह इस बगिया के कुछ रखवाले कुछ राजनीतिक विचारधारा से प्रेरित छात्र- छात्राएं और कुछ राजनितिक लोग आग लगाने वालो में शामिल नजर आते रहे है।
जायज-नाजायज मांगो को लेकर एक आन्दोलन थमा नही कि नया बवाल–बखेड़ा शुरू हो जाता है। सार्थक तौर पर देखा जाए तो सारे बवाल पूरी तरह से चीफ प्रॉक्टर रायना सिंह की लापरवाही व सुलझे संवाद स्थापित न करने के ही नतीजे होते है।
रविवार शाम हुआ बवाल
बीएचयू परिसर का माहौल रविवार शाम एक बार फिर गरमा गया। यहां पिछले साल 23 सितंबर को हुए लाठीचार्ज के विरोध में सभा कर रहे कुछ छात्र-छात्राओं और कुछ छात्रों के बीच हाथापाई, जमकर मारपीट भी हुई। इस वजह से करीब एक घंटे तक एमएमवी चौराहे पर बवाल और अफरा-तफरी का माहौल रहा। घटना में कुछ छात्राओं को हल्की चोट भी आई। बहुत देर बाद प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सुरक्षाकर्मी ने किसी तरह बीच बचाव कर मामला शांत कराया।
प्राक्टोरियल बोर्ड देखता रहा तमाशा
बीएचयू परिसर में भारीभरकम सुरक्षाकर्मियों के साथ मुस्तैद रहने वाली चीफ प्रॉक्टर रायना सिंह भी शांति व्यवस्था कायम नही कर पाई। एमएमवी चौराहे पर एक घण्टे तक बवाल-बखेड़ा होता रहा लेकिन परिसर सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने वाले प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सुरक्षाकर्मी बहुत देर तक मूकदर्शक बनकर तमाशा देखते रहे।
बवाल बढ़ता देखा बहुत देर बाद प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सुरक्षाकर्मी ने किसी तरह बीच बचाव कर मामला शांत कराया। हालांकि इस समय परिसर में तनावपूर्ण शांति बनी हुई है।