वाराणसी। कोरोना संक्रमण के चलते पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा की गई है। हमारे डॉक्टर ‘कोरोना वॉरियर्स’ बनकर पूरी ताकत झोंके हुए हैं। लेकिन हमारी पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था कोरोना से निपटने में इस कदर खप रही है कि अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है, जिनके लिए उनके मौजूदा रोग ही कोरोना से ज्यादा जानलेवा हैं।
बनारस में बीएचयू सहित अन्य निजी अस्पतालों में इलाज बन्द होने से लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। रविवार को सोनभद्र जिले के विंढमगंज थाना क्षेत्र के मेदिनी खार निवासी रमेश कुमार अपनी पत्नी मनीता(35) का इलाज कराने सर सुंदरलाल अस्पताल पहुंचे थे।
रमेश एम्बुलेंस से पत्नी को लेकर भोर में बीएचयू पहुंचा। यहां डॉक्टरों ने महिला को स्ट्रेचर पर ही एक बोलत पानी चढ़ाने के बाद किसी दूसरी जगह ले जाने के लिए बोल दिया। रमेश ने बताया कि पूर्व में उसकी पत्नी का इलाज सोनभद्र में ही चल रहा था रक्तस्त्राव बढ़ने की शिकायत पर सोनभद्र से उसे बीएचयू रेफर कर दिया गया।
दर्द से तड़पती रही महिला
दर्द से तड़पती महिला इलाज के लिए गुहार लगाती रही लेकिन डॉक्टरों ने असमर्थता जता दी। रमेश किसी निजी अस्पाल की तलाश में स्ट्रेचर पर ही पत्नी को लेकर बीएचयू गेट से बाहर आया और मालवीय चौराहे पर ही धूप में बिलखता रहा। बोला, सब लोग कुत्ता जैसा डांट रहे हैं। कोई नहीं सुन रहा। रमेश बहुत देर तक पत्नी का इलाज कराने के लिए लोगों और राहगीरों से मदद की गुहार लगाता रहा।
एम्बुलेंस से भेजा गया मण्डलीय अस्पताल
पत्नी के लिए कड़ी धूप में रोते-बिलखते युवक को देखने के बाद भी कोई कुछ नहीं कर पा रहा था। काफी देर बाद जानकारी मिलने पर लंका थाने से एसआई कुंवर सिंह मौके पर पहुंचे और एम्बुलेंस से दोनों को मंडलीय अस्पताल भेजा।