दीपावली के उपहार में प्रियजनों को स्थानीय उत्पाद को देने की अपील की है, उत्तर प्रदेश के मुख्यामंत्री योगी आदित्य नाथ ने
रेशम कारोबारियों का मानना है की ,प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के इस अपील से पूरी दुनिया रेशम उत्पाद को मिलेगा बढ़ावा |
बनारस का सिल्क एक जिला एक उत्पाद( ODOP ) में शामिल है
रत्नेश राय
वाराणसी : मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने प्रदेश की जनता से अपील किया है की वे दीपावली में अपने शहर के उत्पाद को उपहार में अपने प्रियजनों और मित्रों को दे,इससे कई फायदे होंगे शहर के उत्पाद को बढ़ावा मिलेगा और देश की तरक़्क़ी में भी आप शामिल होंगे | आप बनारसी है या बनारस घूमने आये है ,तो अपने प्रियजानो को रेशमी अहसास जरूर कराये ,आइये जानते है ये रेशमी अहसास क्या है |
वाराणसी की बात की जाए तो आप सबसे पहले बनारसी सिल्क साड़ी के बारे में ही सोचेंगे लेकिन काशी में रेशम के एक नहीं अनेक उत्पाद है, जिसे आप गिफ्ट कर सकते है ,मसलन रेशम से बने हुए वाल हैंगिंग।, सिल्क के बने हुए कुशन कवर ,सिल्क के स्टोल ,सिल्क की टाई ,पेपर होल्डर ,सिल्क के बने हुए स्कार्फ़ ,सिल्क की साड़ी जैसे कई प्रोडक्ट है | पहनने से लेकर बिछाने और सजाने के लिए सभी तरह सिल्क उत्पादों को आप अपने दोस्तों और प्रियजनो को भेट कर सकते है ,यदि कीमत की बता की जाए तो करीब पांच सौ रूपये से लेकर हज़ारों की कीमत हैं , जो अपने कारीगरी के चलते और कीमती होते जाते है,जो लोगो के लिए उपयोगी होने के साथ- साथ , आपके अपनों के लिए यादगार भी होंगे।
सिल्क उत्पाद से जुड़े प्रमुख व्यवसाई ,राहुल मेहता ,मुकुंद अग्रवाल निर्यातक रजत सिनर्जी समेत कई व्यापारियों को मनाना है की ,रेशम के उत्पादों के गिफ़्ट देने की सिलसिला से एक शृंखला बनेगी , और बाजार में एक मूव आएगा जिससे ,रेशम के काम से जुड़े कारीगर से लेकर दुकानदार और निर्यातक सभी को बड़ा लाभ होगा।
वाराणसी में अपने विशिष्ट मेहमानो को अंगवस्त्रम देने की परंपरा है ,खासतौर पर बौद्ध भिक्षु अपने धर्म गुरुओं को उनके सम्मान में खाता देते है ,जो रेशम से निर्मित होता है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी वाराणसी में अंगवस्त्र एक बुनकर ने भेट किया था ,जिसपर एक बुनकर कबीर के दोहे ,”चदरिया झीनी रे झीनी ,राम नाम रस भीनी ,चदरिया झीनी रे झीनी, चदरिया झीनी रे झीनी,”यही नहीं अयोध्या भी अंग वस्त्र गया था जिसपर जयश्री राम, अयोध्या पवित्र धाम की बुनकारी की गई थी।पद्मश्री डा रजनीकांत जी GI (,भौगोलिक संकेतक,geographical indication)विशेषज्ञ और बौद्ध की तपोस्थली सारनाथ के सिल्क कारोबारी रितेश पाठक बताते है की ,हिंदू धर्म ही नहीं बल्कि भगवान बुद्ध के अनुयायी पूरी दुनिया में बनारसी सिल्क का इस्तमाल पूजा ,और वस्त्रों के रूप में करते है ,जिसे किंमखाब ,ग्यासार ,ज्ञानटा ,दुर्जे ,पेमाचंदी ,आदि नामो से जाना जाता है ,बौद्ध धर्म से जुड़े ब्रोकेट के सिल्क वस्त्र पूरी दुनिया में काशी से ही जाता है ,थाईलैंड ,श्रीलंका ,मंगोलिया जैसे कई देशों में बनारसी सिल्क भी बुनकर कबीर की धरती बनारस से ही जाती है ,साथ ही हॉलिवुड की भी पहली पसंद सिल्क ही है ,सिल्क का इतिहास करीब पांच सौ साल पुराना है।
बनारसी सिल्क के कपड़ो में सिर्फ रेशम ही नहीं बल्कि हिन्दू मुस्लिम एकता का तना-बाना भी बुना जाता है जो पूरी दुनिया में भाई चारे का मिशाल भी क़ायम करता है