सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (आपीसी) की धारा 498ए के तहत दहेज उत्पीड़न केस में शुक्रवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इन मामलों में आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी पर से रोक हटा लिया है। अब अगर कोई महिला अपने पति और उसके परिवार के खिलाफ आईपीसी की धारा 498ए के तहत दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराती है तो उनकी तुरंत गिरफ्तारी हो सकती है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.एम.खानविलकर और जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने अपने पुराने फैसले में संशोधन करते हुए कहा है कि शिकायतों के निपटारे के लिए परिवार कल्याण कमेटी की जरूरत नहीं है। पुलिस को आवश्यक लगे तो वह आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर सकती है। हालांकि कोर्ट ने ये भी कहा है कि आरोपियों के लिए अग्रिम जमानत का विकल्प खुला है।
सुप्रीम कोर्ट ने पलटा 2017 के फैसले
गौरतलब है कि पिछले साल 27 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने अपने पुराने फैसले में कहा था कि आईपीसी की धारा-498 ए यानी दहेज उत्पीड़न के केस में सीधे गिरफ्तारी नहीं होगी। लेकिन इस फैसले के बाद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने कहा था कि दहेज प्रताड़ना मामले में दिए फैसले में जो सेफगार्ड दिया गया है उससे वह सहमत नहीं हैं।