कैराना: कैराना लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस, सपा, बीएसपी और आम आदमी पार्टी के समर्थन से मैदान में उतरीं आरएलएडी प्रत्याशी तबस्सुम हसन ने बीजेपी प्रत्याशी मृगांका सिंह को हरा दिया है. चुनाव नतीजों को देख तबस्सुम ने कहा है, ‘यह सच की जीत है. जो कुछ भी कहा है उसके साथ मैं आज भी हूं, एक साजिश रची गई थी. मैं कभी नहीं चाहूंगी कि भविष्य के चुनाव ईवीएम से न हों. संयुक्त विपक्ष का रास्ता अब बिलकुल साफ है.’ आपको बता दें कि राजनीति से तबस्सुम हसन का रिश्ता कोई नया नहीं है. बीजेपी की उम्मीदवार मृगांका सिंह की तरह तबस्सुम भी राजनीतिक घराने से आती हैं.
RLD प्रत्याशी तबस्सुम हसन के बारे 8 बड़ी बातें
तबस्सुम हसन जिस राजनीतिक परिवार आती हैं, उसकी तीसरी पीढ़ी भी राजनीति में उतर चुकी है.
तबस्सुम हसन के ससुर चौधरी अख्तर हसन सांसद रह चुके हैं. उनके पति मुनव्वर हसन कैराना से दो बार विधायक, दो बार सांसद और एक बार विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं.
हालांकि हसन का परिवार भी कई राजनीतिक दलों के साथ रहा है, 1984 में चौधरी अख्तर हसन सांसद कांग्रेस सांसद बने थे. उनके बेटे चौधरी मुनव्वर हसन यानी तबस्सुम के पति साल 1991 में कैराना से सांसद चुने गये. इस चुनाव में उन्होंने हुकुम सिंह को हराया था. जिनकी बेटी मृगांका इस बार बीजेपी प्रत्याशी हैं.
साल 2009 में तबस्सुम हसन बीएसपी के टिकट से कैराना लोकसभा सीट जीती थी. साल 2014 में जब हुकुम सिंह सांसद बन गए तो उन्होंने कैराना विधानसभा सीट छोड़ दी. इस पर हुये उपचुनाव में तबस्सुम हसन के बेटे नाहिद हसन ने जीत दर्ज की.
बात करें तबस्सुम हसन की शिक्षा की तो वह हाईस्कूल तक पढ़ी हैं.
इस चुनाव में बीजेपी की प्रत्याशी मृगांका सिंह और आरएलडी प्रत्याशी तबस्सुम हसन दोनों ही सहानुभूति की लहर पर सवार थीं. एक ने अपने पिता भी खोया है तो एक ने पति.
कैराना लोकसभा सीट पर पांच लाख मतदाता मुस्लिम हैं तो करीब तीन लाख की आबादी हिंदुओं की है. जबकि ढाई लाख मतदाता दलित हैं.
तबस्सुम हसन का परिवार गुर्जर से ताल्लुक रखता है. दरअसल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जातिगत समीकरण बहुत ही उलझे हुए हैं. सीधे इस तरह से समझिये कि मृगांका सिंह हिंदू गुर्जर हैं तो तबस्सुम हसन मुस्लिम गुर्जर हैं.