आशुतोष त्रिपाठी
वाराणसी: महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल अपने 9वें संस्करण के साथ 19 से 21 दिसंबर 2025 तक एक बार फिर वाराणसी लौट रहा है। यह फ़ेस्टिवल 15वीं शताब्दी के संत-कवि कबीर के जीवन, लेखन और दर्शन का उत्सव है, कबीर इस शहर की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत में गहराई से रचे-बसे हैं। संगीत, कविता, कला और संवाद को एक धागे में पिरोता यह ख़ूबसूरत फ़ेस्टिवल शहर के निवासियों और बाहर से आने वालों को बनारस की समय को मात देने वाली कलात्मक परंपराओं से रूबरू होने का अवसर देता है। घाटों पर गूंजते मंत्रों से लेकर ऐतिहासिक गलियों में धड़कती कारीगरी तक।
मुख्य फ़ेस्टिवल से पहले, टीम ने तीन दिवसीय आउटरीच प्रोग्राम आयोजित किया, जिसके तहत शहर के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों का दौरा किया गया। विद्यार्थियों ने कबीर की शिक्षाओं से जुड़ते हुए अपने शहर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रति अपनापन महसूस किया और फ़ेस्टिवल के एंबेसडर बनने के लिए प्रेरित हुए। इसके साथ ही उन्हें कबीरा आर्ट प्रोजेक्ट में भाग लेने का अवसर भी मिला, जहाँ उनके बनाए आर्टवर्क को प्रतिष्ठित कलाकारों के साथ प्रदर्शित किया गया। इस दौरान उन्हें मार्गदर्शन के साथ-साथ व्यापक मंच मिला और वे वाराणसी के सक्रिय कलाकार समूह का हिस्सा भी बने।
महिंद्रा समूह के वाइस प्रेसिडेंट एवं कल्चरल आउटरीच के हेड, जय शाह ने कहा, “महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल हमेशा से शहर में कबीर की उस कालजयी विचारधारा का उत्सव मनाता रहा है, जिसने उनके विचारों को जीवन दिया। इस वर्ष वाराणसी के विद्यार्थियों के साथ हमारा जुड़ाव और भी अर्थपूर्ण है—बनारस ऐसा शहर है जहाँ रचनात्मकता, भक्ति और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा हैं। कला, संगीत और संवाद के माध्यम से युवाओं को फ़ेस्टिवल से जोड़कर हम न सिर्फ़ भावी कलाकारों को, बल्कि इस शहर की विरासत के संरक्षकों को भी संवार रहे हैं। हमारी आशा है कि हर सहभागी विद्यार्थी कबीर की भावना को गर्व, जिज्ञासा और अपनेपन के साथ आगे बढ़ाएगा।”
टीमवर्क आर्ट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर संजॉय के. रॉय ने कहा, “वाराणसी केवल कबीर की शिक्षाओं की जन्मभूमि नहीं है, बल्कि परंपरा और नवाचार का एक जीता-जागता कैनवास है। कबीरा आर्ट एक्सपीरियंस और हमारे आउटरीच प्रोग्राम का उद्देश्य पीढ़ियों के बीच एक पुल बनाना है—जहाँ शहर की युवा ऊर्जा सदियों पुरानी कलात्मक परंपराओं से बात करती है। स्थानीय विद्यार्थियों को स्थापित कलाकारों के साथ अपनी कला का प्रदर्शन करते देखना और उनके कार्य को फ़ेस्टिवल के विस्तृत वातावरण में सम्मानित करना इस विश्वास को मजबूत करता है कि कला में एकजुट करने, प्रेरित करने और लोगों को बदलने की शक्ति है। यह फ़ेस्टिवल बनारस की उसी भावना को समर्पित है, जिसकी गूंज दूर-दूर तक सुनाई देती है।”
यह फ़ेस्टिवल वाराणसी की सांस्कृतिक पहचान को और सुदृढ़ करते हुए उसकी ऐतिहासिक विरासत को आज के दौर की कलात्मक से जोड़ता है। प्राचीन मंदिरों में गूंजते शास्त्रीय संगीत के लयबद्ध स्वरों से लेकर शहर की ऊर्जा को दर्शाते रंगीन ब्रश-स्ट्रोक्स तक, महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल बनारस के हृदय में कबीर की एकता, रचनात्मकता और आत्मचिंतन की दृष्टि को जीवंत करता है और नई पीढ़ी को इस शाश्वत विरासत को अपनाने और आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है।
