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ढाई दशकों बाद एक बार फिर टूट गई काशी की यह खास परंपरा

आशुतोष त्रिपाठी

वाराणसी: चंद्र ग्रहण के सूतक काल के कारण आध्यात्मिक राजधानी कही जाने वाली काशी के दशाश्वमेध घाट पर होने वाली सायंकालीन दैनिक गंगा आरती की पंरपरा 26 साल बाद एक बार फिर टूट गई। बीते ढाई दशकों में यह दूसरा अवसर है, जब आरती दिन में हुई। गंगा आरती में आयोजकों और देसी-विदेशी पर्यटकों समेत हजारों लोगों ने हिस्‍सा लिया।

गंगोत्री सेवा समिति और गंगा सेवा निधि ने गंगा आरती का समय दोपहर एक बजे निर्धारित किया। वैसे गंगा आरती रोज शाम को साढ़े छह बजे से साढ़क सात बजे तक होती है। इस बार चंद्रग्रहण की वजह से दिन में दोपहर लगभग 1.00 बजे से यह आरती शुरू हो गई।

गंगा सेवा निधि के अध्‍यक्ष सुशांत मिश्र ने बताया कि 26 वर्षों के इतिहास में यह दूसरा मौका है जब गंगा आरती एक बजे दिन में हुई. इससे पहले बीते साल श्रावण पूर्णिमा के दिन 7 अगस्‍त 2017 को दिन में 12 बजे आरती की गई थी।

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