कर्नाटक में चल रहे हिजाब विवाद के बीच गुरुवार को मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने देश में कुछ ताकतों की ओर से धार्मिक नफरती माहौल पैदा करने पर चिंता प्रकट करते हुए हैरानी जताते हुए कहा कि क्या सर्वोपरि है-‘राष्ट्र या धर्म’. कर्नाटक (Karnataka) में हिजाब (Hijab) से जुड़े विवाद को लेकर छिड़ी बहस पर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी और न्यायमूर्ति डी भरत चक्रवर्ती की पीठ ने कहा कि कुछ ताकतों ने ‘ड्रेस कोड’ को लेकर विवाद उत्पन्न किया है और ये पूरे भारत में फैल रहा है. पीठ ने कहा कि ये सचमुच में हैरान करने वाला है कि कोई व्यक्ति हिजाब के पक्ष में है, कुछ अन्य धोती या टोपी के पक्ष में हैं और कुछ अन्य दूसरी चीजों के पक्ष में हैं.
गैर-हिंदुओं को मंदिरों में प्रवेश करने से रोकने के लिए हिंदू मंदिरों में केवल ‘सनातन धर्म’ के विश्वासियों को अनुमति देने के आदेश की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि सर्वोपरि क्या है? देश या धर्म? साथ ही कहा कि ये चौंकाने वाला है कि कोई हिजाब के पीछे जा रहा है और कोई धोती के पीछे जा रहा है. मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति डी भरत चक्रवर्ती की पीठ ने श्रीरंगम से रंगराजन नरसिम्हन की ओर से हिंदू मंदिरों में प्रतिबंधित प्रवेश की मांग करने वाली याचिकाओं के एक बैच पर ये टिप्पणी की.
गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के लिए डिस्प्ले बोर्ड की मांग
याचिकाकर्ता ने भक्तों के लिए सख्त ड्रेस कोड लागू करने, गैर-हिंदुओं को राज्यभर के मंदिरों में प्रवेश करने से रोकने और मंदिर परिसर में व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की. याचिका में कहा गया है कि मंदिर के प्रवेश द्वार पर ड्रेस कोड और गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के लिए डिस्प्ले बोर्ड होना चाहिए.
ये याद दिलाते हुए कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, पीठ ने आश्चर्य जताया कि ड्रेस कोड पर डिस्प्ले बोर्ड लगाने का सवाल कैसे पैदा होगा जब कोई विशेष ड्रेस कोड मौजूद नहीं है. न्यायमूर्ति भंडारी ने भारत के पंथनिरपेक्ष देश होने का जिक्र करते हुए कहा कि मौजूदा विवाद से कुछ नहीं मिलने जा रहा है, लेकिन धर्म के नाम पर देश को बांटने की कोशिश की जा रही है.