नई दिल्ली। दिल्ली में जारी सियासी गतिरोध और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित उनके तीन कैबिनेट मंत्रियों के धरने पर कांग्रेस ने शुक्रवार को जमकर निशाना साधा। पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने तो यहां तक कहा कि धरने के नाम पर अखबारों में राजनिवास के सोफे पर बेशर्मी से पसरे हुए सीएम का फोटो देखकर शर्म आती है। जनता बिजली- पानी संकट और वायु प्रदूषण से जूझ रही है जबकि मुख्यमंत्री अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। वह भी वहां, जहां कुछ हो ही नहीं सकता। शीला और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन दोनों ने केजरीवाल और दिल्ली सरकार के तीनों मंत्रियों के जल्द काम पर वापस लौटने की मांग की है। साथ ही यह भी सलाह दी कि केजरीवाल को ऐसे धरने शुरू करने से पहले दिल्ली की संवैधानिक परिस्थितियों के बारे में भली प्रकार जानकारी ले लेनी चाहिए।
अकबर रोड स्थित अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी कार्यालय में शीला दीक्षित ने कहा, दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है। यहां पर केजरीवाल उत्तर प्रदेश या हरियाणा जैसे कारनामों को अंजाम नहीं दे सकते। केजरीवाल जी पहले जाकर संविधान पढ़ें और समङों। 1उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में इस वक्त प्रदूषण के कारण हालात बहुत खराब हैं। जल संकट और बिजली की अघोषित कटौती से भी जनता हाहाकार कर रही है। ऐसे समय में मुख्यमंत्री का अपने अधिकार बढ़ाने की जद्दोजहद में राजनिवास पर मंत्रियों के साथ धरने पर बैठना बचकानी हरकत है। पूरे देश में यह ऐसी पहली निर्वाचित सरकार है जो काम न करने के बहाने ढूंढती रहती है।
शीला ने कहा, जब हमारी सरकार थी तब हमने भी अधिकारियों के साथ काम किया और बेहतर ढंग से किया। मैंने पूर्व में नियुक्त मुख्य सचिव और विभिन्न विभागों के अन्य सरकारी अधिकारियों को हटाने की कोई सिफारिश नहीं की। केंद्र सरकार से पूछा भी गया तो भी मना कर दिया। हमने अपने काम के साथ परिणाम दिया। वैसे भी अधिकारी किसी एक राजनीतिक दल के नहीं होते। इसलिए केजरीवाल पहले यही स्पष्ट करें कि उनकी लड़ाई आखिर किसके साथ और किस मुद्दे पर है? पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उपराज्यपाल अनिल बैजल कुछ कर ही नहीं सकते। वे संवैधानिक व्यवस्था से बंधे हैं। वैसे भी अधिकारियों के साथ प्यार और मिठास से काम लिया जाता है, जबरदस्ती या बदतमीजी से नहीं। (फाइल फोटो)