प्रतिरोध का आख्यान है काशी का साहित्य

 

वाराणसी: काशी का साहित्य कभी भी राजदरबार का साहित्य नही रहा है। यहां का साहित्य विश्व विजयी मानवता की रचना करता है। काशी की मिट्टी फक्कड़पन और लड़ने का साहस देती है। चाहे वह कबीर के साहित्य के रूप में समाज मे व्याप्त बुराइयों पर प्रहार करती है या फिर जयशंकर प्रसाद के ध्रुव स्वामिनी के रूप में नारी अस्मिता के पक्ष में निर्णय लेने के रूप में हो।

ये बातें डॉ रामसुधार सिंह में काशीकथा के 14 दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन कही। कार्यशाला के प्रथम सत्र में “साहित्य में काशी” विषय पर बोलते हुए डॉ रामसुधार सिंह ने कहा कि साहित्य में काशी के अवदान को कबीर, तुलसी, रैदास, भारतेन्दु, जयशंकर प्रसाद, प्रेमचंद आदि से लेकर आधुनिक काल में काशीनाथ सिंह, केदार सिंह, नामवर सिंह, तक है। काशी ने सदैव ही साहित्य के संवेदनात्मक अनुभूति को ही स्वीकार किया।

प्रगतिवादी युग में जब साहित्य का केंद्र दिल्ली की तरफ विस्थापित होने लगा तो काशी ने सम्वेदना जो पकड़ते हुए ‘हास्य व्यंग्य परंपरा’ की एक नई पीढ़ी दी। जिसमें भैयाजी बनारसी, बेढब बनारसी, चोंच जी और अन्नपूर्णानंद जी जैसे लोगों व्यंगधार के साथ सामाजिक कुरीतियों पर कड़ा प्रहार किया। काशी का साहित्य लालच में न पड़कर सकारात्मक अवदान दिया है।

काशी की बोली, काशी की माटी ही काशी के साहित्य की ताकत है। धूमिल की कविता के रूप में काशी के साहित्य ने सवाल पूछने की ताकत दी। काशी के हिंदी साहित्य के योगदान के प्रमुख केंद्र रहे नागरी प्रचारिणी सभा के वर्तमान हालत पर चिंता जताते हुए कहा कि हिंदी में आज जो कुछ भी है उन महान तपस्वियों का परिणाम है। परंतु आज यह संस्था कुछ लोगों के पॉकेट में रह गई है।

कार्यशाला के दूसरे सत्र में “काशी के पुराण इतिहास” विषय पर बोलते हुए प्रो0 सीताराम दूबे ने काशी के पौराणिक उल्लेखों यथा स्कन्द पुराण, काशी खण्ड आदि में काशी के अवस्थिति के बारे में प्रकाश डाला। साथ ही कहा कि काशी की संस्कृति की लोकोन्मुख है। सांस्कृतिक समग्रता की यही पहचान ही काशी की पहचान है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो0 एस एन उपाध्याय ने किया। संचालन डॉ अवधेश दीक्षित ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुभाष चन्द्र यादव ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ विकास सिंह, अरविन्द मिश्र, दीपक तिवारी, गोपेश पांडेय, अभिषेक यादव, उपेंद्र दीक्षित अजय कुशवाहा, जय प्रकाश चतुर्ववेदी, शेखर, शमीम नोमानी, आदि लोग उपस्थित रहे।

 

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