आशुतोष त्रिपाठी
वाराणसी: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में लगातार हो रही अनियमितता एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ में छात्र और नौजवान दलीय बन्धन तोड़ सरकार के लचर रवैये के खिलाफ एकजुट होकर विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र एवं विभिन्न दलों के नौजवान बीएचयू गेट लंका पर शाम से प्रतिरोध सभा करते हुए रात्रिकालीन धरने पर बैठे है।
रोज़गार के महत्वपूर्ण सवाल पर आह्वान की गई इस बैठक में छात्रों के साथ अभिवावक और सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हुए। सभा में वक्ताओं ने आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए बेहद आक्रोश के स्वर में नारे लगाए। सभा मे शिक्षा के निजीकरण और बाजारीकरण से लेकर रोजगार की चुनौतियों को समझने की जरूरत बतलाई।
विवि की नियुक्तियों से लेकर आयोग से लगायत तमाम छोटी बड़ी नौकरियों में भ्रष्टाचार के गम्भीर शिकायत सामने आई है और ये सभी बातें गांव के किसी आम किसान मजदूर सामान्य मध्यम वर्गीय परिवार के ऊपर कैसे बिजली की तरह गिर रही होंगी ये सोच कर सिहरन पैदा हो रही है।
उत्तर प्रदेश सरकार को आगाह किया गया कि आयोग में व्याप्त भ्रष्टाचार में संलिप्त सभी दोषियों पर कठोर कार्यवाही करते हुये छात्रों एवं युवाओं के भविष्य से जुड़ी परीक्षाओं को पूर्णतया पारदर्शी बनाकर अविलम्ब परीक्षाओं को संचालित नहीं किया गया तो पुरे प्रदेश में व्यापक अन्दोलन करेंगे छात्र और नौजवान ।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में व्याप्त भ्रष्टाचार का उजागर जो पिछले दिनों परीक्षा नियंत्रक अंजुलता कटियार और प्रिंटिंग प्रेस मालिक कौशिक कुमार के साठगांठ से सामने आया उससे सरकार के क्रिया कलाप पर सवाल उठा है जो पूर्व में भी देखने को मिला है।
योगी आदित्यनाथ सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल में वैसे भी एल टी ग्रेड ,अवर अभियंता, समीक्षा अधिकारी, पीसीएस परीक्षाओ का अंतिम परिणाम या यू कहे किसी भी प्रतियोगी परीक्षा का परिणाम नहीं आया। उपरोक्त भ्रष्टाचार की घटना सामने आ जाने पर प्रदेश सरकार ने अगले वर्ष तक सारी परीक्षाओ को टाल दिया है। ऐसे में प्रतियोगी छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधकारमय हो गया है।
जहाँ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उक्त घटना में एस आई टी की जाँच की बात कहकर सांत्वना देने का कार्य किया तो वही सवाल उठता है कि पूर्व सरकार में हुए नियुक्तियो के मामले में सीबीआई जाँच के द्वारा कारवाई की बात अब कमजोर हो चुकी है जहाँ ईमानदारी से जाँच कर रहे अधिकारी राजीव रंजन को हटा दिया गया ऐसे माहौल में लगता है।
इस जाँच का हाल भी वही होना है। ऐसे में प्रतियोगी छात्र-छात्राओं का की मांग है कि संविधान के अनुच्छेद 315 के तहत उ प्र लोकसेवा आयोग को संघ लोक सेवा आयोग के अधीन करा दे जिससे घोषित कैलेण्डर के तहत परीक्षाए हो और परीक्षार्थियो का भविष्य सुरक्षित बने।