आशुतोष त्रिपाठी
वाराणसी: बीएचयू के पूर्व छात्र रहे एक डॉ ने सर सुंदरलाल चिकित्सालय मे बीटिंग हार्ट सर्जरी को सफल अंजाम देकर अत्यंत जोखिमपूर्ण स्थिति में पहुंच चुके 55 साल के मरीज की जान बचाई है। यह मरीज ऑर्टरी रोग से पीड़ित था और उसके कई हार्ट वेसल्स में बहुत ज्यादा ब्लॉकेज हो चुके थे ।
गंभीर चुनौतियों के बावजूद बीटिंग हार्ट सर्जरी के साथ साथ वॉल्व रिप्लेसमेंट का सफल सर्जरी हुआ है। यह सर्जरी 8 घंटे में सफलतापूर्वक की गई। अब मरीज बिल्कुल ठीक है। ये सर्जरी दिल्ली मैक्स अस्पताल से यहां आये डॉ राहुल चंदोला के द्वारा सोमवार को किया गया।
मरीज का इलाज कर रही टीम की अगुवाई कर रहे डॉ राहुल चंदोला ने बताया कि कई ब्लॉकेज होने के कारण एंजियोप्लास्टी करवाने के चलते मरीज अनफिट मानी गई । मरीज को पहले हार्ट अटैक आ चुका था और बीपी समस्या भी थी ऐसे मे इलाज करना खतरनाक था।
बीटिंग हार्ट सर्जरी के तहत इस मरीज का सफल ऑपरेशन किया गया। नई तरह की टेक्नीक में सीने के एक हिस्से से चीरा लगाकर सर्जरी करनी पड़ती है।
ज्यादातर मामलों में ओपन हार्ट सर्जरी के दौरान दिल की गति रोककर शरीर के साथ एक हार्ट लंग मशीन जोड़ दी जाती है जिससे तब भी धड़कन बनी रहती है। इसे ऑफ पंप सीएबीजी कहा जाता है। इस प्रक्रिया में दिल के जिस हिस्से की मरम्मत होती है उसे सुचारू ढंग से चलाने के लिए विशेष डिवाइसेज का इस्तेमाल होता है।
बीटिंग हार्ट सर्जरी की खासियत है कि इसमें मरीज को अधिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। बीटिंग हार्ट सर्जरी में सीने के अलावा कहीं चीरा नहीं लगाया जाता है। ऐसे में मरीज तेजी से रिकवर करता है और चलने-फिरने में दिक्कत नहीं होती है।
BHU के इतिहास मे पहली बार हुई ऐसी सर्जरी
बीएचयू अस्पताल में पहली बार इस प्रकार की तकनीक से किसी बाइपास सर्जरी को अंजाम दिया गया है। बीटिंग हर्ट सर्जरी भारत के कुछ चुने हुए डॉक्टर ही कर पाते हैं, क्योंकि ये ऑपरेशन बहुत जटिल माना जाता है।
इन डॉक्टरों का रहा योगदान
इतिहास रचने वाले इस बेहद जटिल ऑपरेशन में डॉ अरविंद पांडेय का योगदान बहुत महत्वपूर्ण रहा और उन्होंने इस तरह के ऑपरेशन भविष्य में रेगुलर होने की उम्मीद जतायी है। ऑपरेशन करने वाली टीम में डॉ आलोक, प्रोफेसर रंजन, फिजीशियन डॉ डॉ धीरज किशोर और एनेस्थीसिया के डॉ मनमोहन श्याम भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।
बीटिंग हार्ट सर्जरी (Beating heart surgery) क्या है ?
बीटिंग हार्ट सर्जरी की खोज होने से हृदय के ऑपरेशन के क्षेत्र में एक नया आयाम जुड़ गया है। अमरीका जैसे अनेक विकसित देशों में धड़कते दिल की सर्जरी अर्थात् बीटिंग हर्ट सर्जरी तेजी से लोकप्रिय हो रही है। भारत में भी कुछ चुनिंदा हृदय चिकित्सा केंद्रों में इस सर्जरी का इस्तेमाल आरंभ हो गया है। जहाँ बीटिंग हर्ट सर्जरी की विशेष सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
बीटिंग हर्ट सर्जरी के लाभ
- परंपरागत बाईपास सर्जरी के अंतर्गत मरीज की हार्ट-लंग मशीन के हवाले करके हृदय एवं फेफड़े को निष्क्रिय कर दिया जाता है और फिर हृदय की सर्जरी की जाती है।
- हार्ट-लंग मशीन हृदय और फेफड़े के काम को सँभालती है। लेकिन इस तरह की सर्जरी के कई तरह के खराब प्रभाव भी सामने आए हैं।
- इन खराब प्रभावों के मद्देनजर सुरक्षित हार्ट सर्जरी के रूप में बीटिंग हार्ट सर्जरी का विकास हुआ हैं ।
- परंपरागत Open heart surgery से Beating heart surgery केवल इस अर्थ में अलग है कि इसमें हार्ट-लंग मशीन का इस्तेमाल नहीं होता है और सर्जरी के दौरान हृदय एवं फेफड़े को निष्क्रिय नहीं बनाया जाता है।
- धड़कते दिल की सर्जरी करने के लिए आक्टोपस नामक यंत्र की सहायता से हृदय के उस भाग को स्थिर कर लिया जाता है जहाँ सर्जरी करनी होती है।
- बीटिंग हार्ट सर्जरी ज्यादा सुरक्षित होती हैं इसमें मरीज को कम जोखिम के साथ ज्यादा स्वस्थ्य लाभ मिलता हैं। मरीज को कम समय के लिए अस्पताल में रहना पड़ता है।
- बीटिंग हार्ट सर्जरी में ओपन हार्ट सर्जरी की अपेक्षा दिमाग पर खराब प्रभाव भी कम पड़ता हैं साथ ही यह कम खर्चीला होता है और इसमें मरीज को खून चढ़ाने की आवश्यकता या तो बिलकुल नहीं होती है, या बहुत ही कम होती हैं। इस ओपरेशन के दौरान मृत्यु दर भी कम होती है।