आशुतोष त्रिपाठी
वाराणसी: बीएचयू के यूनेस्को चेयर प्रोफेसर प्रियंकर उपाध्याय ने विश्वविद्यालय की वैश्विक पहचान को नई ऊंचाइयां देते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ तक इसका परचम लहराया है। प्रो. उपाध्याय को संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्यालय न्यूयार्क में उसकी सामान्य सभा (जनरल असेम्बली) में व्याख्यान देने के लिए सभा की अध्यक्ष ने शुक्रवार को आमंत्रित किया।
संयुक्त राष्ट्र की सामान्य सभा ने ’शांति की संस्कृति’ की अवधारणा के 20 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में यह विशेष आयोजन किया, जिसका मुख्य उद्देश्य मानवता के शांतिपूर्ण रूपांतरण के लिए विश्वास आधारित परंपराओं और संस्कृतियों के बेहतर अनुप्रयोग को सुनिश्चित करना है और उनका नेतृत्व विकसित करना है। प्रोफेसर उपाध्याय ने अपने बीज वक्तव्य में शांति की संस्कृति और अहिंसा की भारतीय अवधारणा पर अपने विचार रखते हुए यह बताया कि हिंसा से ग्रस्त हमारी दुनिया में सहिष्णुता एवं शांति की विशेष जरूरत है।
उन्होंने धार्मिक नेताओं एवं विभिन्न विश्वास परंपराओं के बीच संवाद के लिए तकनीक आधारित सोशल मिडिया के अधिकतम प्रयोग की जरूरत को रेखांकित किया। भारत के समावेशी सांस्कृतिक एवं धार्मिक अनुभवों को विशेष कर रेखांकित करते हुए उन्होनें बनारस को वैश्विक धार्मिक साझापन और सहजीविता का आकर्षक प्रतीक बताया। उन्होंने धर्म को संघर्ष का उपागम ना मानते हुए उसे सम्पोषणीय संघर्ष रूपान्तरण की गंगोत्री की संज्ञा दी ।
ज्ञातव्य हो कि प्रो. प्रियंकर उपाध्याय ने इसके पहले भी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को कई सारे अंतर्राष्ट्रीय गौरव के क्षण दिये है। अकादमिक रूप से बेहद प्रतिष्ठित पीस रीसर्च इंस्ट्च्यिूट ओस्लो के ग्लोबल फेलो प्रो. उपाध्याय ने इसके पहले तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के निमंत्रण पर व्हाइट हाउस में वैश्विक धार्मिक नेतृत्व को संबोधित किया था। प्रो. उपाध्याय नोबल शांति पुरस्कार को नामित करने वाले एक विशिष्ठ पैनल के भी सदस्य है। प्रो. उपाध्याय जल्दी ही युनेस्को द्वारा प्रायोजित एक बड़े अन्तर्राष्ट्रीय परियोजना का नेतृत्व करने जा रहे है जो अन्तर्रधार्मिक संवाद के नवाचारी प्रयोगो को संयोजित करेगा।
उपरोक्त विशिष्ठ सम्मान को विश्वविद्यालय परिवार में अपार हर्ष का क्षण बताते हुए प्रो. प्रिंयकर उपाध्याय को अपनी बधाई प्रेषित की है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. डी.पी. सिंह एवं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने इस समाचार पर हर्ष व्यक्त करते हुए बधाई प्रेषित की है।