बदलते मौसम से होने वाले वायरल फीवर को आयुर्वेद करेगा दूर – डॉ अजय कुमार #Health

अक्सर गर्मी और बारिश के मौसम में तापमान में बदलाव, खान-पान में गड़बड़ी या फिर शारीरिक कमजोरी की वजह से बुखार आने लगता है जिसका मुख्य कारण वायरल फीवर  है। सामान्यतया वायरल फीवर के लक्षण आम फीवर जैसे ही होते हैं लेकिन इसको नजर अंदाज करने पर व्यक्ति की हालत काफी गंभीर हो सकती है।

इस बुखार को ठीक होने में 5-6 दिन तक लग जाते हैं। फीवर के शुरुआती तौर में गले में दर्द, थकान, खांसी जैसी समस्या होती है। बड़ों के साथ यह वायरल फीवर बच्चों में भी तेजी से फैलता है।

वायरल फीवर के लक्षण क्या है –

  • तेज बुखार
  • थकान और मांसपेशियों या बदन में दर्द
  • सर्दी-खांसी 
  • जोड़ो में दर्द और सिर दर्द
  • त्वचा पर लाल रैशेज
  • गले में दर्द
  • आंखों का लाल होना

मौसम के बदलाव के कारण लगभग सभी इससे परेशान जरूर होते है। इसके इलाज़ की वजाय इससे बचने के उपयो पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। इस बारे में बात कर रहे है चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के डॉ अजय कुमार से

डॉ अजय ने बताया की  आयुर्वेद में ऐसी बहुत सी औषधियों का उल्लेख है जिनके नियमित सेवन से आप का प्रतिरक्षा तंत्र इतना मजबूत हो जाएगा की विमारिया आपको छू भी नही पाएगी।

ये उपाय बनायेगे आपके प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत-

यहां कुछ औषधियों को बता रहे है जिनका किसी योग्य वैद्य की सलाह एवं देखरेख में सेवन करने से आप हमेशा स्वस्थ रहेगे।

  • तुलसी की पत्तियाँ  को रोज सुबह सेवन करे। तुलसी गले और फेफड़े को साफ रखती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर इसके संक्रमण से बचाती है।
  • गिलोय  जिसे गॉव में गुरुच नाम से जाना जाता है, इम्यून सिस्टम के लिए बेहतरीन औषधि है। इसके प्रतिदिन काढ़ा पीने से स्वस्थ रह सकते है।
  • अदरक, तुलसी , मरीच को पीस कर शहद के साथ या इनका काढ़ा बनाकर सुबह लेना चाहिये।
  • त्रुभवन कीर्ति रस, लक्ष्मी विलास रस, संजीवनी बूटी के सेवन से लाभ मिलता है।
  • शिरिषादि क्वाथ,  गोजिह्वादी क्वाथ आदि के सेवन करना चाहिए।
  • स्वर्ण भस्म से बनी औषधियों का सेवन चिकित्सक के सलाह से करना चाहिए। इसके जितना बलवान औषधि कोई नही है। इससे संक्रामक रोगों से लड़ने की अभूतपूर्व शक्ति मिलती है।
  • षडबिंदु तेल का नस्य लेना चाहिए।

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